Coupletss of Asghar Mehdi Hosh

Coupletss of Asghar Mehdi Hosh
नामअसग़र मेहदी होश
अंग्रेज़ी नामAsghar Mehdi Hosh

ज़िक्र-ए-अस्लाफ़ से बेहतर है कि ख़ामोश रहें

टूट कर रूह में शीशों की तरह चुभते हैं

साग़र नहीं कि झूम के उट्ठे उठा लिया

मिट्टी में कितने फूल पड़े सूखते रहे

मेरे ही पाँव मिरे सब से बड़े दुश्मन हैं

क्या सितम करते हैं मिट्टी के खिलौने वाले

ख़ुदा बदल न सका आदमी को आज भी 'होश'

खो गई जा के नज़र यूँ रुख़-ए-रौशन के क़रीब

जो साए बिछाते हैं फल फूल लुटाते हैं

जो हादिसा कि मेरे लिए दर्दनाक था

जाने किस किस का गला कटता पस-ए-पर्दा-ए-इश्क़

हम भी करते रहें तक़ाज़ा रोज़

गिर भी जाती नहीं कम-बख़्त कि फ़ुर्सत हो जाए

डूबने वाले को साहिल से सदाएँ मत दो

दीवार उन के घर की मिरी धूप ले गई

बच्चे खुली फ़ज़ा में कहाँ तक निकल गए

आने वाले दौर में जो पाएगा पैग़म्बरी

आदमी पहले भी नंगा था मगर जिस्म तलक

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