इक ख़्वाब की ताबीर हक़ीक़त ही न हो
अंदाज़-ए-तग़ाफ़ुल में मोहब्बत ही न हो
ख़्वाबों से हक़ीक़त को समझने वालो
मुमकिन है तख़य्युल में सदाक़त ही न हो
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Parveen Shakir
Gulzar
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
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रेत और दर्द
मैं भाग के जाऊँगा कहाँ अपने वतन से
क़ाफ़िले ख़ुद सँभल सँभल के बढ़े
दुश्मन-ए-जाँ कोई बना ही नहीं
सौ तरह के सदमों से गुज़रना कैसा
बहुत है एक नज़र
चराग़-ए-हसरत-ओ-अरमाँ बुझा के बैठे हैं
सज़ा
सादा काग़ज़ पे कोई नाम कभी लिख लेना!
कौन भला ये कहता है ख़ुद आ के हम को मनाएँ आप
दश्त-ए-वफ़ा में ठोकरें खाने का शौक़ था
हज़ार चाहा लगाएँ किसी से दिल लेकिन