Heart Broken Poetry of Farooq Bakshi

Heart Broken Poetry of Farooq Bakshi
नामफ़ारूक़ बख़्शी
अंग्रेज़ी नामFarooq Bakshi

वो बस्ती याद आती है

शिकायत

शहर-ए-दोस्त

जब हम पहली बार मिले थे

वो न आएगा यहाँ वो नहीं आने वाला

वो ख़ुद अपना दामन बढ़ाने लगे

उस के होंटों पे बद-दुआ' भी नहीं

तमाम शहर में उस जैसा ख़स्ता-हाल न था

जली हैं दर्द की शमएँ मगर अंधेरा है

जैसी ख़्वाहिश होती हे कब होता हे

इक पल कहीं रुके थे सफ़र याद आ गया

बिछड़ना मुझ से तो ख़्वाबों में सिलसिला रखना

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