ख्वाब Poetry (page 2)
ज़ख़्म के होंट पर लुआब उस का
अक़ील अब्बास
था जो मेरे ज़ौक़ का सामान आधा रह गया
अहमद अली बर्क़ी आज़मी
आकाश पे बादल छाए थे
बीना गोइंदी
सारी रात के बिखरे हुए शीराज़े पर रक्खी हैं
अज़्म शाकरी
कई अँधेरों के मिलने से रात बनती है
तरकश प्रदीप
चाँद तारे जिसे हर शब देखें
अनवर अंजुम
एक तो इश्क़ की तक़्सीर किए जाता हूँ
नईम गिलानी
मैं रस्ते में जहाँ ठहरा हुआ था
वफ़ा नक़वी
हवा ही लौ को घटाती वही बढ़ाती है
अमजद इस्लाम अमजद
ग़ुरूब होते हुए सूरजों के पास रहे
वफ़ा नक़वी
हद से बढ़ती हुई ता'ज़ीर में देखा जाए
नईम गिलानी
इश्क़ को आँख में जलते देखा
नजमा शाहीन खोसा
इश्क़ से इज्तिनाब कर लेना
हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी
आधों की तरफ़ से कभी पौनों की तरफ़ से
आदिल मंसूरी
मौजों की साज़िशों ने किनारा नहीं दिया
वफ़ा नक़वी
ख़ुश-शनासी का सिला कर्ब का सहरा हूँ मैं
अब्दुल्लाह कमाल
आँख हो और कोई ख़्वाब न हो
फ़ारूक़ इंजीनियर
ख़्वाबों ख़यालों की अप्सरा
दौर आफ़रीदी
कचरे का ढेर
बुशरा सईद
बेचैनी
दौर आफ़रीदी
दूर का सफ़र
बलराज कोमल
किस तरह रात की दहलीज़ कोई पार करे
फ़ैसल हाश्मी
हम-ज़ाद
फ़ैसल हाश्मी
सूरज की पहली किरन
अमजद इस्लाम अमजद
गुल-दान
आरिफ़ अब्दुल मतीन
बे-साया पेड़
काशिफ़ रफ़ीक़
वो आलम ख़्वाब का था
हारिस ख़लीक़
ज़मीन सिमट कर मेरे तलवे से आ लगी
जवाज़ जाफ़री
पहचान
फ़ैसल हाश्मी
अगर औरत कमा सकती तो
बुशरा सईद