ख्वाब Poetry (page 115)
अपने ही ख़ून से इस तरह अदावत मत कर
अब्बास दाना
थी याद किस दयार की जो आ के यूँ रुला गई
आज़िम कोहली
सिलसिले सब रुक गए दिल हाथ से जाता रहा
आज़िम कोहली
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं
आज़िम कोहली
ख़याल-ए-यार का जल्वा यहाँ भी था वहाँ भी था
आज़िम कोहली
क्या है ऊँचाई मोहब्बत की बताते जाओ
अातिश इंदौरी
वो मेरे क़ल्ब को छेदेगा कब गुमान में था
अातिश बहावलपुरी
मिरी राख में थीं कहीं कहीं मेरे एक ख़्वाब की किर्चियाँ
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
तिरी दोस्ती का कमाल था मुझे ख़ौफ़ था न मलाल था
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
सरशार हूँ साक़ी की आँखों के तसव्वुर से
आसी रामनगरी
क़फ़स-नसीबों का उफ़ हाल-ए-ज़ार क्या होगा
आसी रामनगरी
मंज़िल पे ले के पहुँचेगा अज़्म-ए-जवाँ मुझे
आसी रामनगरी
ख़्वाब में आओ मिरे रंगीन ख़्वाबों की तरह
आसी रामनगरी
मेरी आँखें और दीदार आप का
आसी ग़ाज़ीपुरी
ज़ख़्म-ए-दिल हम दिखा नहीं सकते
आसी ग़ाज़ीपुरी
वो क्या है तिरा जिस में जल्वा नहीं है
आसी ग़ाज़ीपुरी
उसी के जल्वे थे लेकिन विसाल-ए-यार न था
आसी ग़ाज़ीपुरी
सारे आलम में तेरी ख़ुशबू है
आसी ग़ाज़ीपुरी
इतना तो जानते हैं कि आशिक़ फ़ना हुआ
आसी ग़ाज़ीपुरी
सोने से जागने का तअल्लुक़ न था कोई
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ख़्वाब जितने देखने हैं आज सारे देख लें
आशुफ़्ता चंगेज़ी
अजीब ख़्वाब था ताबीर क्या हुई उस की
आशुफ़्ता चंगेज़ी
दयार-ए-ख़्वाब
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ठिकाने यूँ तो हज़ारों तिरे जहान में थे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
पता कहीं से तिरा अब के फिर लगा लाए
आशुफ़्ता चंगेज़ी
पनाहें ढूँढ के कितनी ही रोज़ लाता है
आशुफ़्ता चंगेज़ी
किसे बताते कि मंज़र निगाह में क्या था
आशुफ़्ता चंगेज़ी
किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
हमारे बारे में क्या क्या न कुछ कहा होगा
आशुफ़्ता चंगेज़ी