ख्वाब Poetry (page 113)
फ़क़ीर किस दर्जा शादमाँ थे हुज़ूर को कुछ तो याद होगा
अब्दुल हमीद अदम
दुआएँ दे के जो दुश्नाम लेते रहते हैं
अब्दुल हमीद अदम
दिल है बड़ी ख़ुशी से इसे पाएमाल कर
अब्दुल हमीद अदम
हर इंसाँ अपने होने की सज़ा है
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
दुआ को हाथ मिरा जब कभी उठा होगा
अब्दुल हफ़ीज़ नईमी
क़ुर्ब नस नस में आग भरता है
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
क़ज़ा से क़र्ज़ किस मुश्किल से ली उम्र-ए-बक़ा हम ने
अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद
क्या कहीं मिलता है क्या ख़्वाबों में
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
ग़ुंचे का जवाब हो गया है
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
उस से उम्मीद-ए-वफ़ा ऐ दिल-ए-नाशाद न कर
अब्दुल अलीम आसि
'सादेम'
अब्दुल अहद साज़
फीकी ज़र्द दोपहर
अब्दुल अहद साज़
नानी-अमाँ की वफ़ात पर एक नज़्म
अब्दुल अहद साज़
मुतज़ाद ज़ाविए
अब्दुल अहद साज़
इंतिज़ार बाक़ी है
अब्दुल अहद साज़
फ़साद के ब'अद
अब्दुल अहद साज़
चकमा
अब्दुल अहद साज़
ज़िक्र हम से बे-तलब का क्या तलबगारी के दिन
अब्दुल अहद साज़
सवाल का जवाब था जवाब के सवाल में
अब्दुल अहद साज़
सवाल बे-अमान बन के रह गए
अब्दुल अहद साज़
सामेआ लज़्ज़त-ए-बयान-ज़दा
अब्दुल अहद साज़
मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे
अब्दुल अहद साज़
मंज़र शमशान हो गया है
अब्दुल अहद साज़
खिले हैं फूल की सूरत तिरे विसाल के दिन
अब्दुल अहद साज़
हर इक लम्हे की रग में दर्द का रिश्ता धड़कता है
अब्दुल अहद साज़
घुल सी गई रूह में उदासी
अब्दुल अहद साज़
दिखाई देने के और दिखाई न देने के दरमियान सा कुछ
अब्दुल अहद साज़
बे-मसरफ़ बे-हासिल दुख
अब्दुल अहद साज़
बातिन से सदफ़ के दुर-ए-नायाब खुलेंगे
अब्दुल अहद साज़
अबस है राज़ को पाने की जुस्तुजू क्या है
अब्दुल अहद साज़