ख्वाब Poetry (page 112)
तुझ क़द की अदा सर्व-ए-गुलिस्ताँ सीं कहूँगा
अब्दुल वहाब यकरू
जब करें मुझ तिरे का ख़्याल अँखियाँ
अब्दुल वहाब यकरू
अगर वो गुल-बदन दरिया नहाने बे-हिजाब आवे
अब्दुल वहाब यकरू
मुझे एहसास ये पल पल रहा है
अब्दुल वहाब सुख़न
महक रहा है तसव्वुर में ख़्वाब की सूरत
अब्दुल वहाब सुख़न
ऐ मेरी आँखो ये बे-सूद जुस्तुजू कैसी
अब्दुल वहाब सुख़न
आग सीनों में जला कर रखिए
अब्दुल सलाम
मोहब्बत का जिसे इरफ़ाँ नहीं है
अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची
मैं जानता हूँ कौन हूँ मैं और क्या हूँ मैं
अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची
फ़िलफ़िल-ए-ख़ाल-ए-मलाहत के तसव्वुर में तिरे
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है
अब्दुल रहमान एहसान देहलवी
तुझ को अग़राज़-ए-जहाँ से मावरा समझा था मैं
अब्दुल रहमान बज़्मी
इंतिशार-ओ-ख़ौफ़ हर इक सर में है
अब्दुल मतीन नियाज़
हम-नफ़स ख़्वाब-ए-जुनूँ की कोई ता'बीर न देख
अब्दुल मतीन नियाज़
अपने वहम-ओ-गुमान से निकला
अब्दुल मतीन नियाज़
ख़्वाब की बस्ती में अफ़्साने का घर
अब्दुल मन्नान तरज़ी
हर वरक़ इक किताब हो जाए
अब्दुल मन्नान तरज़ी
हर आन नई शान है हर लम्हा नया है
अब्दुल मन्नान तरज़ी
ज़िंदगी तुझ से प्यार क्या करते
अब्दुल मन्नान समदी
बदलते मौसमों में आब-ओ-दाना भी नहीं होगा
अब्दुल मन्नान समदी
जब कोई मेहरबान होता है
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
जाना कहाँ है और कहाँ जा रहे हैं हम
अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद
शायद मुझे निकाल के पछता रहे हों आप
अब्दुल हमीद अदम
आँख का ए'तिबार क्या करते
अब्दुल हमीद अदम
वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है
अब्दुल हमीद अदम
वो अबरू याद आते हैं वो मिज़्गाँ याद आते हैं
अब्दुल हमीद अदम
उन को अहद-ए-शबाब में देखा
अब्दुल हमीद अदम
मुंक़लिब सूरत-ए-हालात भी हो जाती है
अब्दुल हमीद अदम
मतलब मुआ'मलात का कुछ पा गया हूँ मैं
अब्दुल हमीद अदम