Love Poetry (page 207)
किसी के जाल में आ कर मैं अपना दिल गँवा बैठा
बाबर रहमान शाह
ऐ परी-ज़ाद तेरे जाने पर
बाबर रहमान शाह
आतिश-ए-इश्क़ जब जलाती है
बाबर रहमान शाह
तुम को मैं जब सलाम करता हूँ
बाबर रहमान शाह
नहीं नहीं ये मिरा अक्स हो नहीं सकता
बाबर रहमान शाह
मान लो साहिबो कहा मेरा
बाबर रहमान शाह
किसी के जाल में आ कर मैं अपना दिल गँवा बैठा
बाबर रहमान शाह
दिल ने हम से अजब ही काम लिया
बाबर रहमान शाह
वही जिंस-ए-वफ़ा आख़िर फ़राहम होती जाती है
बीएस जैन जौहर
फिर किसी शख़्स की याद आई है
बीएस जैन जौहर
नग़्मे तड़प रहे हैं दिल-ए-बे-क़रार में
बीएस जैन जौहर
मेरी हर बात पे बे-बात ख़फ़ा होते हो
बीएस जैन जौहर
मेरी हर बात पे बे-बात ख़फ़ा होते हो
बीएस जैन जौहर
घटा सावन की उमडी आ रही है
बीएस जैन जौहर
घटा सावन की उमडी आ रही है
बीएस जैन जौहर
घर में रहते हुए डर लगता है
बीएस जैन जौहर
घर में रहते हुए डर लगता है
बीएस जैन जौहर
इक हूक सी जब दिल में उट्ठी जज़्बात हमारे आ पहुँचे
बीएस जैन जौहर
कुछ नहीं होता शब भर सोचों का सरमाया होता है
अज़रक़ अदीम
तारीक उजालों में बे-ख़्वाब नहीं रहना
अज़रा वहीद
पर सऊबत रास्तों की गर्मियाँ भी दे गया
अज़रा वहीद
मसअले ज़ेर-ए-नज़र कितने थे
अज़रा वहीद
जलती बुझती हुई आँखों में सितारे लिक्खे
अज़रा वहीद
हवा के लब पे नए इंतिसाब से कुछ हैं
अज़रा वहीद
गिरे क़तरों में पत्थर पर सदा ऐसा भी होता है
अज़रा वहीद
ग़ुबार-ए-जाँ पस-ए-दीवार-ओ-दर समेटा है
अज़रा वहीद
उस ने मेरे नाम सूरज चाँद तारे लिख दिया
अज़रा परवीन
सिमट गई तो शबनम फूल सितारा थी
अज़रा परवीन
सिमट गई तो शबनम फूल सितारा थी
अज़रा परवीन
बे-ख़ुदा होने के डर में बे-सबब रोता रहा
अज़रा परवीन