Love Poetry (page 208)
अब आँख भी मश्शाक़ हुई ज़ेर-ओ-ज़बर की
अज़रा परवीन
आसमाँ साहिल समुंदर और मैं
अज़रा परवीन
उन्हें मुझ से शिकायत है
अज़रा नक़वी
सुब्ह के दो मंज़र
अज़रा नक़वी
ख़्वाब-जंगल
अज़रा नक़वी
हार-सिंगार
अज़रा नक़वी
मो'तबर से रिश्तों का साएबान रहने दो
अज़रा नक़वी
किसी ख़याल की हिद्दत से जलना चाहती हूँ
अज़रा नक़वी
टुकड़ों में बटी हुई ज़िंदगी
अज़रा अब्बास
समुंदर की ख़ुश्बू
अज़रा अब्बास
इस ज़िंदगी के बदले
अज़रा अब्बास
हम दोनों
अज़रा अब्बास
फ़ीमेल बुल-फ़ाइटर
अज़रा अब्बास
ए'तिराफ़
अज़रा अब्बास
एक ज़िंदगी और मिल जाए
अज़रा अब्बास
एक नज़्म रोज़ आती है
अज़रा अब्बास
एक नज़्म
अज़रा अब्बास
आख़िरी रूसूमात के दौरान
अज़रा अब्बास
वतन
अज़मतुल्लाह ख़ाँ
प्यारा प्यारा घर अपना
अज़मतुल्लाह ख़ाँ
नन्हा ग़ासिब
अज़मतुल्लाह ख़ाँ
अधूरा टुकड़ा
अज़मतुल्लाह ख़ाँ
ज़िंदगी मेरी मुझे क़ैद किए देती है
अज़्म शाकरी
ज़ख़्म जो तुम ने दिया वो इस लिए रक्खा हरा
अज़्म शाकरी
शब की आग़ोश में महताब उतारा उस ने
अज़्म शाकरी
ये मत कहो कि भीड़ में तन्हा खड़ा हूँ मैं
अज़्म शाकरी
शब की आग़ोश में महताब उतारा उस ने
अज़्म शाकरी
ख़ून आँसू बन गया आँखों में भर जाने के ब'अद
अज़्म शाकरी
घर में चाँदी के कोई सोने के दर रख जाएगा
अज़्म शाकरी
दरीदा-पैरहनों में शुमार हम भी हैं
अज़्म शाकरी