Love Poetry (page 210)
न जाने कौन सी मंज़िल पे इश्क़ आ पहुँचा
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
तेरी यादें हैं जिन्हें दिल में बसा रक्खा है
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
लम्हों ने यूँ समेट लिया फ़ासला बहुत
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
कमाल ये है कि दुनिया को कुछ पता न लगे
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
जहान-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का सबात ले के गया
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
अजीब कैफ़ियत आख़िर तलक रही दिल की
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
मोहब्बत लफ़्ज़ तो सादा सा है लेकिन 'अज़ीज़' इस को
अज़ीज़ वारसी
ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँ
अज़ीज़ वारसी
जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं
अज़ीज़ वारसी
ग़म-ए-उक़्बा ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-हस्ती की क़सम
अज़ीज़ वारसी
दिल में अब कुछ भी नहीं उन की मोहब्बत के सिवा
अज़ीज़ वारसी
ये हम पर लुत्फ़ कैसा ये करम क्या
अज़ीज़ वारसी
उस ने मिरे मरने के लिए आज दुआ की
अज़ीज़ वारसी
तिरी महफ़िल में फ़र्क़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ कौन देखेगा
अज़ीज़ वारसी
सोज़िश-ए-ग़म के सिवा काहिश-ए-फ़ुर्क़त के सिवा
अज़ीज़ वारसी
शीशा लब से जुदा नहीं होता
अज़ीज़ वारसी
ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँ
अज़ीज़ वारसी
जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं
अज़ीज़ वारसी
इतने नज़दीक से आईने को देखा न करो
अज़ीज़ वारसी
इक हम कि उन के वास्ते महव-ए-फ़ुग़ाँ रहे
अज़ीज़ वारसी
दिल में हमारे अब कोई अरमाँ नहीं रहा
अज़ीज़ वारसी
आख़िर-ए-शब वो तेरी अंगड़ाई
अज़ीज़ वारसी
तसमा-ए-पा
अज़ीज़ तमन्नाई
सफ़र मुदाम सफ़र
अज़ीज़ तमन्नाई
क़िस्सा-ए-दर्द
अज़ीज़ तमन्नाई
मुराजअत
अज़ीज़ तमन्नाई
मुजस्समा
अज़ीज़ तमन्नाई
मेरी आहट
अज़ीज़ तमन्नाई
हर आईना इक अक्स-ए-नौ ढूँडता है
अज़ीज़ तमन्नाई
चाँदनी रात में
अज़ीज़ तमन्नाई