Love Poetry (page 211)
ज़िंदगी यूँ तो गुज़र जाती है आराम के साथ
अज़ीज़ तमन्नाई
यूँही कटे न रहगुज़र-ए-मुख़्तसर कहीं
अज़ीज़ तमन्नाई
उठा के मेरे ज़ेहन से शबाब कोई ले गया
अज़ीज़ तमन्नाई
उसी ने साथ दिया ज़िंदगी की राहों में
अज़ीज़ तमन्नाई
उफ़ुक़ के उस पार कर रहा है कोई मिरा इंतिज़ार शायद
अज़ीज़ तमन्नाई
पाते हैं कुछ कमी सी तस्वीर-ए-ज़िंदगी में
अज़ीज़ तमन्नाई
ख़ल्वत हुई है अंजुमन-आरा कभी कभी
अज़ीज़ तमन्नाई
करते रहे तआ'क़ुब-ए-अय्याम उम्र-भर
अज़ीज़ तमन्नाई
करो तलाश हद-ए-आसमाँ मिलने न मिले
अज़ीज़ तमन्नाई
जिस को चलना है चले रख़्त-ए-सफ़र बाँधे हुए
अज़ीज़ तमन्नाई
हर एक रंग में यूँ डूब कर निखरते रहे
अज़ीज़ तमन्नाई
दिल में वो दर्द उठा रात कि हम सो न सके
अज़ीज़ तमन्नाई
दहर में इक तिरे सिवा क्या है
अज़ीज़ तमन्नाई
अब कौन सी मता-ए-सफ़र दिल के पास है
अज़ीज़ तमन्नाई
कमाल-ए-हुस्न का जब भी ख़याल आया है
अज़ीज़ साबरी
रफ़्तगाँ
अज़ीज़ क़ैसी
मैं!
अज़ीज़ क़ैसी
मैं वफ़ा का सौदागर
अज़ीज़ क़ैसी
कावाक
अज़ीज़ क़ैसी
ग़रीब शहर
अज़ीज़ क़ैसी
कंफ़ेशन
अज़ीज़ क़ैसी
चोर-बाज़ार
अज़ीज़ क़ैसी
बाक़ीस्त शब-ए-फ़ित्ना
अज़ीज़ क़ैसी
ब-नाम-ए-इब्न-ए-आदम
अज़ीज़ क़ैसी
अज़ल-अबद
अज़ीज़ क़ैसी
अल्फ़-ए-लैला की आख़िरी सुब्ह
अज़ीज़ क़ैसी
अहद-नामा-ए-इमराेज़
अज़ीज़ क़ैसी
आख़िरी दिन से पहले
अज़ीज़ क़ैसी
आईने से
अज़ीज़ क़ैसी
वालिहाना मिरे दिल में मिरी जाँ में आ जा
अज़ीज़ क़ैसी