रफ़्तगाँ

तुम यहाँ सो जाओ

तुम को ये जगह भी गर न मिलती तुम गिला हम से न करते

हम तुम्हारे साथ कुछ मिट्टी दिए जाते हैं

इसी मिट्टी से अब हम-रंग हो जाओ

ये सन्नाटा तुम्हारे साथ है अब इस से हम-आहंग हो जाओ

तुम्हारे चाँद सूरज मर चुके हैं

तुम्हारी रौशनी

ज़ुल्मत

उमीद ओ ना-उमीदी

नाव काग़ज़ की

घरौंदे रेत के

बचपन जवानी, उम्र का इक एक लम्हा

तुम जो मुर्दा और ज़िंदा छोड़े जाते हो

वो हम औरों को दे देंगे

अकेले जिस तरह आए हो तुम वो सब भी आएँगे यहाँ तक

सब ये वर्ना छोड़ जाएँगे!

कोई रहज़न बने या राह रोके

हम-सफ़र हो या कोई रस्ता दिखाए

अपना रस्ता सब को तन्हा पार करना है

हमारा काम सूली पर चढ़ाना है सो हम करते हैं

लेकिन बोझ सूली का तुम्हें को है उठाना

तुम यहाँ सो जाओ

अपना बोझ उठाए हम भी आएँगे

हमारे चाँद सूरज भी मरेंगे!

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Raftagan In Hindi By Famous Poet Aziz Qaisi. Raftagan is written by Aziz Qaisi. Complete Poem Raftagan in Hindi by Aziz Qaisi. Download free Raftagan Poem for Youth in PDF. Raftagan is a Poem on Inspiration for young students. Share Raftagan with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.