बारिश Poetry (page 3)
ग़ैर-निसाबी तारीख़
इलियास बाबर आवान
दो उम्रों की रुई धुन कर आया हूँ
इलियास बाबर आवान
बाग़ इक दिन का है सो रात नहीं आने की
इलियास बाबर आवान
क्या जाने किस की धुन में रहा दिल-फ़िगार चाँद
इकराम जनजुआ
जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़
इफ़्तिख़ार राग़िब
कोई बादल मेरे तपते जिस्म पर बरसा नहीं
इफ़्तिख़ार नसीम
दीवार ओ दर झुलसते रहे तेज़ धूप में
इफ़्तिख़ार नसीम
वो मिला मुझ को न जाने ख़ोल कैसा ओढ़ कर
इफ़्तिख़ार नसीम
तेरी आँखों की चमक बस और इक पल है अभी
इफ़्तिख़ार नसीम
सूरज नए बरस का मुझे जैसे डस गया
इफ़्तिख़ार नसीम
हाथ लहराता रहा वो बैठ कर खिड़की के साथ
इफ़्तिख़ार नसीम
अपना सारा बोझ ज़मीं पर फेंक दिया
इफ़्तिख़ार नसीम
रात भर दर्द की बरसात में धोई हुई सुब्ह
इफ़्तिख़ार बुख़ारी
भर आईं आँखें किसी भूली याद से शाम के मंज़र में
इफ़्तिख़ार बुख़ारी
मुकालिमा
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ये बस्तियाँ हैं कि मक़्तल दुआ किए जाएँ
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ये बस्ती जानी-पहचानी बहुत है
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ख़्वाब देखने वाली आँखें पत्थर होंगी तब सोचेंगे
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ख़्वाब आँखों से ज़बाँ से हर कहानी ले गया
इफ़्फ़त ज़र्रीं
ये तकल्लुफ़ ये मुदारात समझ में आए
इबरत मछलीशहरी
लबों पर प्यास हो तो आस के बादल भरे रखियो
इब्राहीम अश्क
ये बच्चा किस का बच्चा है
इब्न-ए-इंशा
पिछले-पहर के सन्नाटे में
इब्न-ए-इंशा
कातिक का चाँद
इब्न-ए-इंशा
इस बस्ती के इक कूचे में
इब्न-ए-इंशा
एक बार कहो तुम मेरी हो
इब्न-ए-इंशा
दरवाज़ा खुला रखना
इब्न-ए-इंशा
ऐ मिरे सोच-नगर की रानी
इब्न-ए-इंशा
सब को दिल के दाग़ दिखाए एक तुझी को दिखा न सके
इब्न-ए-इंशा
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
इब्न-ए-इंशा