बारिश Poetry (page 5)
अब के यारो बरखा-रुत ने मंज़र क्या दिखलाए हैं
हसन रिज़वी
तय मुझ से ज़िंदगी का कहाँ फ़ासला हुआ
हसन निज़ामी
उम्मीद ओ यास ने क्या क्या न गुल खिलाए हैं
हसन नईम
जादू-ए-ख़्वाब में कुछ ऐसे गिरफ़्तार हुए
हसन नईम
दिल वो किश्त-ए-आरज़ू था जिस की पैमाइश न की
हसन नईम
अहल-ए-हवस के हाथों न ये कारोबार हो
हसन नज्मी सिकन्दरपुरी
दुनिया में कितने रंग नज़र आएँगे नए
हसन अकबर कमाल
एहतियात ऐ दिल-ए-नादाँ वो ज़माने न रहे
हसन आबिद
सुलगती याद से ख़ूँ अट न जाए
हनीफ़ तरीन
बिखर के रेत हुए हैं वो ख़्वाब देखे हैं
हनीफ़ कैफ़ी
दिल के सूने सहन में गूँजी आहट किस के पाँव की
हम्माद नियाज़ी
मुझ को मरने की कोई उजलत न थी
हामिदी काश्मीरी
हज़िर-ग़ाएब
हमीदा शाहीन
तपते सहराओं की सौग़ात लिए बैठा है
हामिद मुख़्तार हामिद
ख़ाक पर फेंका हवाओं ने उठा ले मुझ को
हामिद जीलानी
दरयूज़ा-गरी
हमीद अलमास
सारे मामूलात में इक ताज़ा गर्दिश चाहिए
हकीम मंज़ूर
सारे चेहरे ताँबे के हैं लेकिन सब पर क़लई है
हकीम मंज़ूर
कुछ समझ आया न आया मैं ने सोचा है उसे
हकीम मंज़ूर
ख़ुशबुओं की दश्त से हमसायगी तड़पाएगी
हकीम मंज़ूर
बयाबाँ-ज़ाद कोई क्या कहे ख़ुद बे-मकाँ है
हकीम मंज़ूर
अजब सहरा बदन पर आब का इबहाम रक्खा है
हकीम मंज़ूर
अस्र-ए-जदीद आया बड़ी धूम-धाम से
हैदर अली जाफ़री
ऐसी ऊँची भी तो दीवार नहीं घर की तिरे
हैदर अली आतिश
ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते
हैदर अली आतिश
वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा
हैदर अली आतिश
रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा
हैदर अली आतिश
ख़ार मतलूब जो होवे तो गुलिस्ताँ माँगूँ
हैदर अली आतिश
जब के रुस्वा हुए इंकार है सच बात में क्या
हैदर अली आतिश
दीवानगी ने क्या क्या आलम दिखा दिए हैं
हैदर अली आतिश