बारिश Poetry (page 7)
वहम नहीं है
गुलनाज़ कौसर
हयात-ए-रवाँ
गुलनाज़ कौसर
नज़्ज़ारा-ए-रुख़-ए-साक़ी से मुझ को मस्ती है
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई
गोपालदास नीरज
स्वाँग अब तर्क-ए-मोहब्बत का रचाया जाए
गोपाल मित्तल
रोज़ रौशन रहें हालात ज़रूरी तो नहीं
गोपाल कृष्णा शफ़क़
आते ही जवानी के ली हुस्न ने अंगड़ाई
गोपाल कृष्णा शफ़क़
ऊँचे दर्जे का सैलाब
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
दुआ और बद-दुआ के दरमियाँ
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
रात का हर इक मंज़र रंजिशों से बोझल था
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
फिर वही कहने लगे तू मिरे घर आया था
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
लब पे सुर्ख़ी की जगह जो मुस्कुराहट मल रहे हैं
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
अकेला दिन है कोई और न तन्हा रात होती है
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
दिल की मिट्टी चुपके चुपके रोती है
ग़ुफ़रान अमजद
तसल्ली को हमारी बाग़बाँ कुछ और कहता है
ग़ुबार भट्टी
रफ़्ता रफ़्ता आँखों को हैरानी दे कर जाएगा
ग़ज़नफ़र
भीगी भीगी बरखा रुत के मंज़र गीले याद करो
ग़ौस सीवानी
शब कि बर्क़-ए-सोज़-ए-दिल से ज़हरा-ए-अब्र आब था
ग़ालिब
फिर हुआ वक़्त कि हो बाल-कुशा मौज-ए-शराब
ग़ालिब
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
ग़ालिब
इतवार की दोपहर
गीताञ्जलि राय
मरहला तय कोई बे-मिन्नत-ए-जादा भी तो हो
गौहर होशियारपुरी
कैसे डूबा डूब गया
गौहर होशियारपुरी
नौमीद करे दिल को न मंज़िल का पता दे
फ़ुज़ैल जाफ़री
उमीद की कोई चादर तो सामने आए
फ़िरदौस गयावी
जुगनू
फ़िराक़ गोरखपुरी
हिण्डोला
फ़िराक़ गोरखपुरी
सुना तो है कि कभी बे-नियाज़-ए-ग़म थी हयात
फ़िराक़ गोरखपुरी
ग़म तिरा जल्वा-गह-ए-कौन-ओ-मकाँ है कि जो था
फ़िराक़ गोरखपुरी
मिसाल-ए-शम्अ जला हूँ धुआँ सा बिखरा हूँ
फ़ाज़िल जमीली