बारिश Poetry (page 8)
मेरे होंटों पे तेरे नाम की लर्ज़िश तो नहीं
फ़ाज़िल जमीली
दास्तानों में मिले थे दास्ताँ रह जाएँगे
फ़ाज़िल जमीली
रूह और बदन दोनों दाग़ दाग़ हैं यारो
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
इक़रा की सौग़ात की सूरत आ
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
आह को बाद-ए-सबा दर्द को ख़ुशबू लिखना
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
याद
फ़े सीन एजाज़
वाईपर
फ़े सीन एजाज़
रौ भटकने लगे जब ख़यालात की
फ़ातिमा वसीया जायसी
अच्छा लगता है
फ़ातिमा हसन
कुछ नया करने की ख़्वाहिश में पुराने हो गए
फ़सीह अकमल
जो तू नहीं है तो लगता है अब कि तू क्या है
फ़सीह अकमल
तन्हा छोड़ के जाने वाले इक दिन पछताओगे
फ़र्रुख़ ज़ोहरा गिलानी
यूँ भी होता है कि अपने-आप आवाज़ देना पड़ती है
फर्रुख यार
आँधियों का ख़्वाब अधूरा रह गया
फ़ारूक़ शफ़क़
मशवरा देने की कोशिश तो करो
फ़ारूक़ नाज़की
मशवरा देने की कोशिश तो करो
फ़ारूक़ नाज़की
सहर के उफ़ुक़ से
फ़ारूक़ मुज़्तर
ख़ाली नहीं है कोई यहाँ पर अज़ाब से
फ़ारूक़ अंजुम
क्यूँ दिया था? बता! मेरी वीरानियों में सहारा मुझे
फरीहा नक़वी
कुछ नहीं गरचे तिरी राहगुज़र से आगे
फ़ारिग़ बुख़ारी
जिस बादल ने सुख बरसाया जिस छाँव में प्रीत मिली
फ़रहत ज़ाहिद
लाख रहे शहरों में फिर भी अंदर से देहाती थे
फ़रहत ज़ाहिद
वो खुल कर मुझ से मिलता भी नहीं है
फ़रहत क़ादरी
मसअला आज मिरे इश्क़ का तू हल कर दे
फ़रहत नदीम हुमायूँ
है वही एक मेरे सिवा और मैं
फ़रहत नदीम हुमायूँ
आँखों की प्यालियों में बारिश मची हुई है
फ़रहत एहसास
वस्ल की रात में हम रात में बह जाते हैं
फ़रहत एहसास
काम उन आँखों की हवसनाकी की साज़िश आ गई
फ़रहत एहसास
है शोर साहिलों पर सैलाब आ रहा है
फ़रहत एहसास
इक हवा आई है दीवार में दर करने को
फ़रहत एहसास