बस एक बार ही तोड़ा जहाँ ने अहद-ए-वफ़ा
किसी से हम ने फिर अहद-ए-वफ़ा किया ही नहीं
Habib Jalib
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(804) Peoples Rate This
कोई भरोसा नहीं अब्र के बरसने का
शीशे का आदमी हूँ मिरी ज़िंदगी है क्या
दुनिया बहुत क़रीब से उठ कर चली गई
करें सलाम उसे तो कोई जवाब न दे
ग़ज़ल हो गई जब भी सोचा तुम्हें
मिशअल-ब-कफ़ कभी तो कभी दिल-ब-दस्त था
ये और बात है कि बरहना थी ज़िंदगी
ज़िंदगी वादी ओ सहरा का सफ़र है क्यूँ है
तिरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमाँ होंगे
थी हौसले की बात ज़माने में ज़िंदगी