किस किस को बताऊँ कि मैं बुज़दिल नहीं 'राग़िब'
इस दौर में मफ़्हूम-ए-शराफ़त ही अलग है
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तक़दीर-ए-वफ़ा का फूट जाना
वो कहते हैं कि आँखों में मिरी तस्वीर किस की है
'राग़िब' वो मेरी फ़िक्र में ख़ुद को भी भूल जाएँ
पढ़ता रहता हूँ आप का चेहरा
जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़
बे-सबब 'राग़िब' तड़प उठता है दिल
हो चराग़-ए-इल्म रौशन ठीक से
क्या बताऊँ कि कितनी शिद्दत से
इस शोख़ी-ए-गुफ़्तार पर आता है बहुत प्यार
इक बड़ी जंग लड़ रहा हूँ
क्या बताऊँ दिल में किस की याद का