क्या बताऊँ दिल में किस की याद का
एक काँटा चुभ रहा है मुस्तक़िल
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चंद यादें हैं चंद सपने हैं
इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो
दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे
अंदाज़-ए-सितम उन का निहायत ही अलग है
वो कहते हैं कि आँखों में मिरी तस्वीर किस की है
इस शोख़ी-ए-गुफ़्तार पर आता है बहुत प्यार
राय उस पर मत करो क़ाएम कोई
वो कहते हैं कि 'राग़िब' तुम नहीं रखते ख़याल अपना
तक़दीर-ए-वफ़ा का फूट जाना
इक बड़ी जंग लड़ रहा हूँ
एक मौसम की कसक है दिल में दफ़्न
मुज़्तरिब आप के बिना है जी