दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे
उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Rahat Indori
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(875) Peoples Rate This
इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो
'राग़िब' वो मेरी फ़िक्र में ख़ुद को भी भूल जाएँ
वो कहते हैं कि 'राग़िब' तुम नहीं रखते ख़याल अपना
क्या बताऊँ दिल में किस की याद का
चश्म-ए-तर को ज़बान कर बैठे
ले जाए जहाँ चाहे हवा हम को उड़ा कर
जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़
तर्क-ए-तअल्लुक़ात नहीं चाहता था मैं
राय उस पर मत करो क़ाएम कोई
हो चराग़-ए-इल्म रौशन ठीक से
अंदाज़-ए-सितम उन का निहायत ही अलग है
वो कहते हैं कि आँखों में मिरी तस्वीर किस की है