ले जाए जहाँ चाहे हवा हम को उड़ा कर
टूटे हुए पत्तों की हिकायत ही अलग है
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क्या बताऊँ कि कितनी शिद्दत से
दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे
पढ़ता रहता हूँ आप का चेहरा
क्या बताऊँ दिल में किस की याद का
बे-सबब 'राग़िब' तड़प उठता है दिल
जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़
मुज़्तरिब आप के बिना है जी
सख़्त-जानी की बदौलत अब भी हम हैं ताज़ा-दम
तुम ने रस्मन मुझे सलाम किया
किस किस को बताऊँ कि मैं बुज़दिल नहीं 'राग़िब'
चश्म-ए-तर को ज़बान कर बैठे