'असद' हम वो जुनूँ-जौलाँ गदा-ए-बे-सर-ओ-पा हैं
कि है सर-पंजा-ए-मिज़्गान-ए-आहू पुश्त-ख़ार अपना
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ज़ुल्मत-कदे में मेरे शब-ए-ग़म का जोश है
हम से खुल जाओ ब-वक़्त-ए-मय-परस्ती एक दिन
जुज़ क़ैस और कोई न आया ब-रू-ए-कार
निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो
रौ में है रख़्श-ए-उम्र कहाँ देखिए थमे
कौन है जो नहीं है हाजत-मंद
है आदमी बजाए ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल
गर न अंदोह-ए-शब-ए-फ़ुर्क़त बयाँ हो जाएगा
दे मुझ को शिकायत की इजाज़त कि सितमगर
बीम-ए-रक़ीब से नहीं करते विदा-ए-होश
दिल लगा कर लग गया उन को भी तन्हा बैठना