रिश्ते

मैं क्या जानूँ कौन है सूरज किस नगरी का बासी है

कैसा सर-चश्मा है जिस से जीवन धारा बहती है

मैं क्या जानूँ कौन है बादल क्यूँ आवारा फिरता है

कितने पेड़ हरे होते हैं कितनी कलियाँ मुर्झाती हैं

एक निगाह-ए-लुत्फ़ से उस की, उस के एक तग़ाफ़ुल से

मैं क्या जानूँ शब के गहरे सन्नाटों में

कितने तारे टूट गए हैं

कितनी पलकें भीग चुकी हैं कितने आँसू ख़ुश्क हुए हैं

सदियों के मलबे को हटा कर देखो

कितनी रूहें अपने अपने पंजर ढूँड रही हैं

मैं क्या जानूँ क्या है दुनिया

इंसानों की बस्ती है या एक सरा-ए-फ़ानी है

मैं तो अभी बिस्तर से उठा हूँ और मिरी आँखों में अब तक

ख़्वाब का सारा मंज़र है

मेरा पोता चाँद में बैठा अपने बेटे से कहता है

''देखो वो धरती है उस में दादा-अब्बा रहते थे''

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Rishte In Hindi By Famous Poet Mughni Tabassum. Rishte is written by Mughni Tabassum. Complete Poem Rishte in Hindi by Mughni Tabassum. Download free Rishte Poem for Youth in PDF. Rishte is a Poem on Inspiration for young students. Share Rishte with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.