हर नई शाम ये एहसास हुआ हो गोया

हर नई शाम ये एहसास हुआ हो गोया

मेरा साया मिरे पैकर से बड़ा हो गोया

तेरे लहजे में तो थी ही तिरी तलवार की काट

तेरी यादों में भी अब ज़हर मिला हो गोया

पिछले मौसम में सभी गिर्या-कुनाँ थे मगर अब

चश्म-ए-ख़ूँ-रंग में सैलाब रुका हो गोया

चाँद निकला तो मिरी ज़ात को अंदाज़ा हुआ

उस ने चुपके से मिरा नाम लिया हो गोया

चुन लिया मैं ने तो फिर अपनी मोहब्बत का ख़ुदा

उस को अब भी है गुमाँ मेरा ख़ुदा हो गोया

एक मुद्दत से ख़लाओं में थीं आँखें रौशन

अब ये आलम है कि आँखों में ख़ला हो गोया

फूल खिलने को तो नक़्क़ाश खिले ख़्वाब मगर

मेरे ज़ख़्मों के चटख़ने की सदा हो गोया

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In Hindi By Famous Poet Naqqash Kazmi. is written by Naqqash Kazmi. Complete Poem in Hindi by Naqqash Kazmi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.