साथ मेरे अपने साए के सिवा कोई न था

साथ मेरे अपने साए के सिवा कोई न था

अजनबी थे सब जहाँ में आश्ना कोई न था

सारे रिश्ते रेत की दीवार थे मौसम के फूल

बात का सच्चा यहाँ दिल का खरा कोई न था

जिन के धोके थे मिसाली जिन की बातें नेश्तर

सिर्फ़ हम मोहसिन थे उन के दूसरा कोई न था

ज़िंदगी की दौड़ में हर शख़्स था बे-आसरा

शोर-ए-बे-हंगाम में नग़्मा-सरा कोई न था

इक शजर ऐसा भी राह-ए-ज़ीस्त में 'सरवत' मिला

फूल तो शाख़ों पे थे पत्ता हरा कोई न था

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In Hindi By Famous Poet Noor Jahan Sarwat. is written by Noor Jahan Sarwat. Complete Poem in Hindi by Noor Jahan Sarwat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.