इन्हें आगे निकल जाने दो 'हारिस'
बलाएँ कब से पीछा कर रही हैं
Javed Akhtar
Anwar Masood
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Gulzar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
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वक़्त बदला सोच बदली बात बदली
सदाएँ डूबती हैं जब
नया चार दिन में पुराना हुआ
हम किताबों में जिसे पाते हैं 'हारिस'
दिलों के ज़ख़्म भरते क्यूँ नहीं हैं
ख़ाली दीवार बुरी लगती है
उभरती डूबती साँसों का सिलसिला क्यूँ है
मशीनें काम अपना कर रही हैं
हर तरफ़ नाला-ओ-फ़रियाद के मंज़र देखें
तह-ब-तह खुलती ही रहती है सदा
खोलो न कोई ऐब किसी का भी यहाँ पर
अजब अश्कों की बारिश हो गई है