इश्क़ की तमन्ना थी इश्क़ की तमन्ना है
इश्क़ ही की राहों में मस्तियों का मेला है
Gulzar
Rahat Indori
Anwar Masood
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(652) Peoples Rate This
हिज्र का दिन है ये गुज़रने दे
पलकों पे सज रहे हैं जो मोती न रोलिए
नक़्श जब भी तिरा उभारा है
ये किस अदा से चमन से बहार गुज़री है
आज मेरी पलकों पर क़ुदसियों का मेला है
ख़ुद से मिलने की जुस्तुजू तुम हो
क़ैस-ए-सहरा-नशीं से ले आओ
दूर सहरा की कड़ी धूप में छाँव जैसा
दिल ने चाहा था जिसे अपने सहारे की तरह