चराग़ हूँ कब से जल रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए

चराग़ हूँ कब से जल रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए

जो बुझ गया तो सहर-नुमा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए

वो बात जो आप कह न पाए मिरी ग़ज़ल में बयाँ हुई है

मैं आप का हर्फ़-ए-मुद्दआ हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए

ग़ुबार हूँ आप चाहे ग़ाज़ा बनाएँ या ज़ेर-ए-पा बिछा लें

मैं कब से रक़्साँ हूँ थक चुका हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए

बहुत ही शाइस्तगी से हर लम्हा डूबती इक सदा की सूरत

मैं ख़ल्वत-ए-जाँ में बुझ रहा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए

बला से ये राह-ए-शौक़ मेरी न हो सकी पर तुम्हारी ख़ातिर

मिसाल-ए-नक़्श-ए-क़दम बिछा हूँ मुझे दुआओं में याद रखिए

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In Hindi By Famous Poet Pirzada Qasim. is written by Pirzada Qasim. Complete Poem in Hindi by Pirzada Qasim. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.