आँसू की कोई क़ीमत नहीं होती
बेश-क़ीमत तो होता है मोती
लेकिन सुनो
इन सब से बढ़ कर है
वक़्त की उलट-फेर है
वक़्त की उलट-फेर
आँसू को मोती
मोती को आँसू
होते नहीं लगती देर
मेरी राय मानो
दोनों की क़द्र जानो
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किसी के साथ गया मुद्दतें गुज़ार आया
अब घटाएँ सियाह हल्की हैं
यही होता है अक्सर ज़िंदगी में
बारे ग़म कुछ हल्का होता
अभी तक उस को मिरा इंतिज़ार है शायद
अँधेरा
आँसू
रात दिन सुब्ह ओ शाम लिखता हूँ
फ़ासला दैर-ओ-हरम के दरमियाँ रह जाएगा
मिरा अंदाज़ा ग़लत हो तो बता दे मुझ को
बिस्लेरी
न खेल अब खेल तो मेरे यक़ीं से