ग़मों से रिश्ता है अपना भी दोस्ती की तरह

ग़मों से रिश्ता है अपना भी दोस्ती की तरह

मिले हैं अश्क भी हम को यहाँ हँसी की तरह

करम की ज़हमत-ए-बे-जा का शुक्रिया लेकिन

तुम्हारे दर्द को चाहा है ज़िंदगी की तरह

मैं अपना दर्द लिए अब कहाँ कहाँ जाऊँ

मुझे रफ़ीक़ भी मिलते हैं अजनबी की तरह

शरीफ़ लोग भी होते हैं मस्लहत का शिकार

उजाले आज भी मिलते हैं तीरगी की तरह

ये किस ने शमएँ जलाई हैं अपनी यादों की

अँधेरे घर में है ये कौन रौशनी की तरह

किसी ख़याल में अक्सर शगुफ़्ता रहता हूँ

कोई ख़याल है फूलों की ताज़गी की तरह

ये और बात कि अब मैं 'रईस'-ए-महफ़िल हूँ

ग़रीब-ए-शहर कभी था में आप ही की तरह

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In Hindi By Famous Poet Raees Akhtar. is written by Raees Akhtar. Complete Poem in Hindi by Raees Akhtar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.