Ghazals of Raghunath Sahai

Ghazals of Raghunath Sahai
नामरघुनाथ सहाय
अंग्रेज़ी नामRaghunath Sahai
जन्म की तारीख1914

ये न पूछो तुम ख़ुदारा कि मिरा मकाँ कहाँ है

रुमूज़-ए-ग़म से बेगाने ख़ुशी का राज़ क्या जानें

रक़्स करते मस्तियों के सैंकड़ों आलम गए

फूलों से छुप सका है कहीं गुलिस्ताँ का हाल

किधर रवाँ है मिरा कारवाँ नहीं मा'लूम

कैसे कहूँ सफ़ीने को सैलाब ले गया

जब न शीशा है न साग़र है न पैमाना मिरा

ग़ाफ़िल तिरी नज़र ही से पर्दा उठा न था

आज फिर साक़ी-ए-गुलफ़ाम से बातें होंगी

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