बैठे रहो कुछ देर अभी और मुक़ाबिल
अरमान अभी दिल के हमारे नहीं निकले
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Javed Akhtar
Habib Jalib
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
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एक दिन भीगे थे बरसात में हम तुम दोनों
मैं था किसी की याद थी जाम-ए-शराब था
तुम्हारी याद
क्या क्या सवाल मेरी नज़र पूछती रही
आ जाना
बे-वफ़ाओं को वफ़ाओं का ख़ुदा हम ने कहा
तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त
नई दुनिया
शाम कठिन है रात कड़ी है
दामन-ए-सद-चाक को इक बार सी लेता हूँ मैं
पड़ी रहेगी अगर ग़म की धूल शाख़ों पर