पहला पत्थर याद हमेशा रहता है
दुख से दिल आबाद हमेशा रहता है
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इक शोर समेटो जीवन भर और चुप दरिया में उतर जाओ
इक सफ़र पर उसे भेज कर आ गए
लोगो ये अजीब सानेहा है
इक आग देखता था और जल रहा था मैं
तमाम मोजज़े सारी शहादतें ले कर
खिले हुए हैं फूल सितारे दरिया के उस पार
करता है कोई और भी गिर्या मिरे दिल में
गुल ओ महताब लिखना चाहता हूँ
ये महर ओ मह बे-चराग़ ऐसे कि राख बन कर बिखर रहे हैं
ख़्वाब तुम्हारे आते हैं