ख़्वाब तुम्हारे आते हैं
नींद उड़ा ले जाते हैं
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ये उम्र भर का सफ़र है इसी सहारे पर
पहला पत्थर याद हमेशा रहता है
खिले हुए हैं फूल सितारे दरिया के उस पार
तमाम मोजज़े सारी शहादतें ले कर
इक शक्ल बे-इरादा सर-ए-बाम आ गई
इक सफ़र पर उसे भेज कर आ गए
इक आग देखता था और जल रहा था मैं
ये महर ओ मह बे-चराग़ ऐसे कि राख बन कर बिखर रहे हैं
असीर-ए-शाम हैं ढलते दिखाई देते हैं
इक शोर समेटो जीवन भर और चुप दरिया में उतर जाओ