चाहा बयाँ करूँ जों है मेरे ख़याल में

चाहा बयाँ करूँ जों है मेरे ख़याल में

मअ'नी उलझ के रह गए लफ़्ज़ों के जाल में

जीता है कौन बहस में मूरख से आज तक

बे-कार क्यूँ उलझते हो तुम क़ील-ओ-क़ाल में

ले जाने वाले लूट के सब कुछ चले गए

हम सोचते ही रह गए काला है दाल में

मुमकिन है उन के दर से टका सा मिले जवाब

लेकिन न हिचकिचाइए अपने सवाल में

रिश्ते की बात कौन किसी से करे यहाँ

अपना बना के लोग फँसाते हैं जाल में

फूलों का दिल कली की तमन्ना मिरी दुआ

काम आए रंग बन के तुम्हारे जमाल में

रखते हैं नाप तोल के वो हर क़दम 'शमीम'

प्यारी लगे है उन की अदा टेढ़ी चाल में

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In Hindi By Famous Poet Shamim Hashimi. is written by Shamim Hashimi. Complete Poem in Hindi by Shamim Hashimi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.