ये
एक अण्डा है
कितनी मुशाबहत है
इस में और हम में
इस के अंदर
एक से ज़ाइद रंग
छुपे हुए हैं
लेकिन सिर्फ़ एक रंग
इस को
मज़बूती से थामे हुए है
कहने को मज़बूत पर इतना नाज़ुक
कि किसी हम-ज़ात से भी टकरा कर
बिखर जाए
और अपना वजूद खो बैठे
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(403) Peoples Rate This
मैं इंतिज़ार करूँगी
पसंद
दावत-नामा
मोम की गुड़िया
नज़्म
तिलिस्म
आम सा दूल्हा
नफ़रत और मोहब्बत
चाँद
मुझे मुआ'फ़ कर देना
गिरता हुआ दरख़्त
तआ'रुफ़