तुम से नफ़रत करना चाहती हूँ
मगर मोहब्बत के साए पर
नफ़रत की एक भी किरन
हावी नहीं हो पाती
और न चाहते हुए भी
इन पर
नफ़रत की निगाह है
जो कभी बहुत क़रीब थे
बाज़ औक़ात
मोहब्बत और नफ़रत
हमारी मुट्ठियों में पानी की मानिंद होती है
Faiz Ahmad Faiz
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चाँद
नज़्म
नफ़रत और मोहब्बत
मुझे मुआ'फ़ कर देना
गिरता हुआ दरख़्त
आम सा दूल्हा
अण्डा
अधूरे ख़्वाब
पसंद
मोम की गुड़िया
मैं इंतिज़ार करूँगी
तिलिस्म