यूँ अपने दिल के बोझ को कुछ कम किया गया

यूँ अपने दिल के बोझ को कुछ कम किया गया

अहद-ए-विसाल-ओ-हिज्र पे मातम किया गया

आँखों से ख़ूँ बहाना पड़ा रात दिन मुझे

तब जा के तेरे ग़म को कहीं ग़म किया गया

क्या कम था पहले दरहम-ओ-बरहम ऐ आसमाँ

जो और मुझ को दरहम-ओ-बरहम किया गया

चेहरा तुम्हारा फूल किया अपने इश्क़ से

और इस पे फिर पसीने को शबनम किया गया

आँसू कभी मलाल कभी तेरा ग़म कभी

क्या क्या न मेरे ज़ख़्म का मरहम किया गया

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In Hindi By Famous Poet Shehzad Raza Lams. is written by Shehzad Raza Lams. Complete Poem in Hindi by Shehzad Raza Lams. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.