ख़बर-ए-तहय्युर-ए-इश्क़ सुन न जुनूँ रहा न परी रही
न तो तू रहा न तो मैं रहा जो रही सो बे-ख़बरी रही
Javed Akhtar
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Parveen Shakir
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Wasi Shah
Rahat Indori
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Mohsin Naqvi
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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आलम के दोस्तों में मुरव्वत नहीं रही
बोलता हूँ जो वो बुलाता है
सीना-साफ़ी की है जिसे ऐनक
मिरा दिल नहीं है मेरे हात तुम बिन
मैं कहा क्या अरक़ है तुझ रुख़ पर
इश्क़ ने ख़ूँ किया है दिल जिस का
अग़्यार छोड़ मुझ सें अगर यार होवेगा
या-रब कहाँ गया है वो सर्व-ए-शोख़-रा'ना
अव्वल सीं दिल मिरा जो गिरफ़्तार था सो है
तिरे सलाम के धज देख कर मिरे दिल ने
मान मत कर आशिक़-ए-बे-ताब का अरमान मान
नींद सीं खुल गईं मिरी आँखें सो देखा यार कूँ