दरख़्त

लफ़्ज़

रोज़ उग आते हैं

जिन्हें मैं अपने सीने से खुरच खुरच कर

काग़ज़ पर जमा कर देता हूँ

ताकि उन्हें क़त्अ किया जा सके

जो भी मेरे लफ़्ज़ काटता है

उस के हाथों पर

मेरे लहू की बूँद सरकने लगती है

उसे मेरे ख़ून से पहचान लिया जाता है

मैं इन लफ़्ज़ों से

कुछ और बनाना चाहता था

मसलन एक दरख़्त

जिसे मैं एक औरत की कोख में क़ाएम कर सकता

और मेरे लहू की बूँद

उस के रुख़्सारों में नुमायाँ हो सकती

जो दरख़्त काट दिए जाते हैं

उन में से किसी के तने से

ख़ून उबलने लगता है

मेरे सीने पर जितने बाल उगे

कोई औरत उन की जड़ें सूँघ कर

मेरी मोहब्बत की गवाही दे सकती थी

मेरे सीने पर जितने बाल उगे

उन से मैं एक लफ़्ज़ बनाना चाहता था

ताकि औरतें अपनी भूक को एक नाम दे सकें

मेरे सीने पर जितने लफ़्ज़ उगे

उन से मैं कुछ और बनाना चाहता था

मसलन एक दरख़्त

जिसे काट दिया जाए

तो उस से मेरा ख़ून उबलने लगे

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In Hindi By Famous Poet Syed Kashif Raza. is written by Syed Kashif Raza. Complete Poem in Hindi by Syed Kashif Raza. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.