बाक़ी सब कुछ फ़ानी है
एक वही लाफ़ानी है
सुनते रहते हैं हम सब
दुनिया एक कहानी है
शर्म-ओ-हया सब क़िस्से हैं
सूखा आँख का पानी है
शो'ला नहीं शबनम भी नहीं
बस बे-रंग जवानी है
नग़्मा कोई छेड़ो 'दरवेश'
महफ़िल महफ़िल वीरानी है
Wasi Shah
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नमी आँखों की बादा हो गई है
आज इस वक़्त वो जब याद आया
कौन से दिल से किन आँखों ये तमाशा देखूँ
मेरा ग़म सारी काएनात का ग़म
तू कहाँ है मुझे ओ ख़्वाब दिखाने वाले
जीना अब दुश्वार है बाबा
अच्छे लगोगे और भी इतना किया करो