यूज़ करते हैं मुसलसल मेक-अप का डब्बा रोज़ क्यूँ
तुम रंग हो तुम नूर हो तुम शीशा हो तुम जाम
क्या बूद-ओ-बाश पूछो हो पूरब के साकिनो
कभी नर्मी कभी सख़्ती कभी उलझन कभी डर
चार गंजे एक दावत में जमा जब हो गए