नौहा

कितना मातम करूँ

अपने दिल के उस हिस्से का

जो तुम्हारे पास रह गया

कितना सोग मनाऊँ

अपनी आँखों की उस चमक का

जो तुम्हारे आँसुओं

तुम्हारी मुस्कुराहट में फीकी पड़ गई

अपनी ज़िंदगी को

कैसे बाहर निकालूँ

उस क़ब्र से जो मैं ने नहीं खोदी

अपनी मोहब्बत को कैसे वापस लाऊँ

उस रास्ते से जो मैं ने नहीं बनाया

किस तरह देख पाऊँगा

उन चीज़ों को

जिन को तुम ने देखा

तुम ने देखा

किस तरह गुज़रता हूँ

मैं उन चीज़ों के दरमियान से

जिन के दरमियान से

अब तुम गुज़र नहीं सकोगी

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Nauha In Hindi By Famous Poet Zeeshan Sahil. Nauha is written by Zeeshan Sahil. Complete Poem Nauha in Hindi by Zeeshan Sahil. Download free Nauha Poem for Youth in PDF. Nauha is a Poem on Inspiration for young students. Share Nauha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.