जिन को ख़ुद जा के छोड़ आए क़ब्रों में हम
उन से रस्ते में मुढभेड़ होती रही
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Anwar Masood
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
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मौत से आगे सोच के आना फिर जी लेना
जैसे कोई दायरा तकमील पर है
इबलाग़
बजा कि लुत्फ़ है दुनिया में शोर करने का
'सादेम'
यूँ तो सौ तरह की मुश्किल सुख़नी आए हमें
शायरी तलब अपनी शायरी अता उस की
हसरत-ए-दीद नहीं ज़ौक़-ए-तमाशा भी नहीं
दोस्त अहबाब से लेने न सहारे जाना
हम अपने ज़ख़्म कुरेदते हैं वो ज़ख़्म पराए धोते थे
ज़िक्र हम से बे-तलब का क्या तलबगारी के दिन
फ़साद के ब'अद