कम मत गिनो ये बख़्त-सियाहों का रंग-ए-ज़र्द
सोना वही जो होवे कसौटी कसा हुआ
Jaun Eliya
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रोवने नीं मुझ दिवाने के किया सियानों का काम
जाल में जिस के शौक़ आई है
जलते थे तुम कूँ देख के ग़ैर अंजुमन में हम
हमारे साँवले कूँ देख कर जी में जली जामुन
नालाँ हुआ है जल कर सीने में मन हमारा
ये तिरी दुश्नाम के पीछे हँसी गुलज़ार सी
मगर तुम सीं हुआ है आश्ना दिल
मत मेहर सेती हाथ में ले दिल हमारे कूँ
रता है अबरुवाँ पर हाथ अक्सर लावबाली का
तुम्हारी जब सीं आई हैं सजन दुखने को लाल अँखियाँ
शेर को मज़मून सेती क़द्र हो है 'आबरू'
कमाँ हुआ है क़द अबरू के गोशा-गीरों का