आवाज़ की दीवार भी चुप-चाप खड़ी थी
खिड़की से जो देखा तो गली ऊँघ रही थी
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
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Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
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रात और दिन के दरमियाँ कोई
गिरते रहे नुजूम अंधेरे की ज़ुल्फ़ से
ऐनक के शीशे पर
टूटी लज़्ज़त की ख़ुशबू
साँस की आँच ज़रा तेज़ करो
चाँद के पेट में हमल मछली
कीचड़ में अटा मौसम
बिस्मिल के तड़पने की अदाओं में नशा था
दरिया के किनारे पे मिरी लाश पड़ी थी
पहलू के आर-पार गुज़रता हुआ सा हो
पत्थर पर तस्वीर बना कर