किस तरह जमा कीजिए अब अपने आप को
काग़ज़ बिखर रहे हैं पुरानी किताब के
Rahat Indori
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Habib Jalib
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1068) Peoples Rate This
सियाह चाँद के टुकड़ों को मैं चबा जाऊँ
ये फैलती शिकस्तगी एहसास की तरफ़
ऐनक के शीशे पर
क्यूँ चलते चलते रुक गए वीरान रास्तो
गाँठी है उस ने दोस्ती इक पेश-इमाम से
अलिफ़ लफ़्ज़ ओ मआनी से मुबर्रा
दरवाज़ा खटखटा के सितारे चले गए
वो बरसात की शब वो पिछ्ला पहर
वो तुम तक कैसे आता
फ़ैज़
हज का सफ़र है इस में कोई साथ भी तो हो
वो मर गई थी