Sad Poetry of Ahmad Mahfuz
नाम | अहमद महफ़ूज़ |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Mahfuz |
जन्म की तारीख | 1966 |
जन्म स्थान | Delhi |
कविताएं
Ghazal 24
Couplets 22
Love 9
Sad 16
Heart Broken 25
Bewafa 1
Hope 11
Islamic 1
ख्वाब 12
Sharab 1
अपना सोचा हुआ अगर हो जाए
ये जो धुआँ धुआँ सा है दश्त-ए-गुमाँ के आस-पास
तारीकी के रात अज़ाब ही क्या कम थे
हम को आवारगी किस दश्त में लाई है कि अब
ज़ख़्म खाना ही जब मुक़द्दर हो
यूँ ही कब तक ऊपर ऊपर देखा जाए
ये जो धुआँ धुआँ सा है दश्त-ए-गुमाँ के आस-पास
उस से रिश्ता है अभी तक मेरा
उन आँखों में रंग-ए-मय नहीं है
रक़्स-ए-शरर क्या अब के वहशत-नाक हुआ
नहीं आसमाँ तिरी चाल में नहीं आऊँगा
मैं बंद आँखों से कब तलक ये ग़ुबार देखूँ
लोग कहते थे वो मौसम ही नहीं आने का
किसी से क्या कहें सुनें अगर ग़ुबार हो गए
छोड़ो अब उस चराग़ का चर्चा बहुत हुआ
बदन-सराब न दरिया-ए-जाँ से मिलता है