Hope Poetry of Ahmad Mahfuz

Hope Poetry of Ahmad Mahfuz
नामअहमद महफ़ूज़
अंग्रेज़ी नामAhmad Mahfuz
जन्म की तारीख1966
जन्म स्थानDelhi

दामन को ज़रा झटक तो देखो

ज़ख़्म खाना ही जब मुक़द्दर हो

ये जो धुआँ धुआँ सा है दश्त-ए-गुमाँ के आस-पास

उठिए कि फिर ये मौक़ा हाथों से जा रहेगा

उठ जा कि अब ये मौक़ा हाथों से जा रहेगा

उस से रिश्ता है अभी तक मेरा

उन आँखों में रंग-ए-मय नहीं है

उधर से आए तो फिर लौट कर नहीं गए हम

किसी से क्या कहें सुनें अगर ग़ुबार हो गए

छोड़ो अब उस चराग़ का चर्चा बहुत हुआ

आया ही नहीं कोई बोझ अपना उठाने को

अहमद महफ़ूज़ Hope Poetry in Hindi - Read famous Hope Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by अहमद महफ़ूज़. Largest collection of Hope Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by अहमद महफ़ूज़. Share the अहमद महफ़ूज़ Hope Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.