वो वक़्त भी आता है जब आँखों में हमारी
फिरती हैं वो शक्लें जिन्हें देखा नहीं होता
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Javed Akhtar
Gulzar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Allama Iqbal
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(863) Peoples Rate This
शबनम को रेत फूल को काँटा बना दिया
जो मुक़द्दर था उसे तो रोकना बस में न था
दिलों की ओर धुआँ सा दिखाई देता है
दुख के सफ़र पे दिल को रवाना तो कर दिया
शाम होती है तो याद आती है सारी बातें
तिरे दीवाने हर रंग रहे तिरे ध्यान की जोत जगाए हुए
दुनिया में सुराग़-ए-रह-ए-दुनिया नहीं मिलता
दस्त-ए-सुमूम दस्त-ए-सबा क्यूँ नहीं हुआ
लाग़र हैं जिस्म रंग हैं काले पड़े हुए
ये वो मौसम है जिस में कोई पत्ता भी नहीं हिलता
जहाँ डाले थे उस ने धूप में कपड़े सुखाने को
धड़कती रहती है दिल में तलब कोई न कोई